रविवार, 28 नवंबर 2010

शालिग्राम जी जैसा मैंने जाना

शुक्रवार की शाम को मैं अपने ऑफिस में रोजाना की तरह कमकाज निपटा रहा था। व्यस्तता के बीच अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा का फ़ोन आया। उन्होंने जो सूचना दी पत्रकार के रूप में मेरे लिए केवल सिंगल कालम खबर थी लेकिन उसके बाद काम में मेरा मन नहीं लगा। आरएसएस के एक वरिष्ठ प्रचारक शालिग्राम तोमर का निधन हो गया। यह खबर मिलते ही मैं १९८९ में पहुँच गया। जब अभाविप कार्यकर्ता के रूप में मैं उनसे मिला था। उज्जैन अधिवेशन की तय्यारियों की बैठक में उन्होंने कहा हमे उज्जैन उस ट्रेन से जाना है जिसमे कम पैसे देकर ज्यादा देर ट्रेन में बैठने को मिले। हलके फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कहना और अपने से आधी उम्र के युवाओं के साथ घुलमिल जाना यही उनकी विशेषता थी। कभी उन्होंने अनुशासन थोपा नहीं बल्कि हमारी आदत मे आ गया। इसी उज्जैन अधिवेशन मे जब भोजन व्यवस्था कुछ बिगड़ी तो वोह खुद पूरियां तलने बैठ गए। हम हल्ला मचाने वालों ने जब यह देखा तो चुप होगये और खुद पर शर्म आ गई। कार्यकता उनसे कितना प्यार करते थे इसका भी एक उदहारण उनके बीमार पड़ने पर मालिश करने और सेवा करने के लिए होड़ लगती थी। अभाविप के नए और पुराने कार्यकर्ता अपनी बारी का इंतजार करते थे। आरएसएस के इन प्रचारक के बारे मे एक बात जो चकित करती है वोह विवाहित प्रचारक थे। लेकिन परिवार उनके लिए कभी परिवार प्राथमिकता मे नहीं रहा। आज मप्र मे भाजपा के जितने भी नेता स्थापित हैं ओर मुख्यमंत्री और मंत्री हैं सबको उनका भरपूर प्यार मिला। शालिग्राम जी ने सबको दिया लेकिन किसी से कुछ भी उम्मीद नहीं की। ऐसे राष्ट्रऋषि को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
-मनोज जोशी

शनिवार, 27 नवंबर 2010

बीजेपी का गौरव दिवस मतलब क्या

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बतौर सीऍम ५ साल पूरे होने पर जलसा आयोजित करवा रहे हैं। वे दूसरी दफा इस पद पर हैं। पहली बार तो उमा भारती के नेत्रत्व में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई बीजेपी ने कर्नाटक के ईदगाह मामले में सम्मान की वजह से उमा को हटा कर बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया और फिर उमा की वापसी के दबाब में गौर को हटाकर शिवराज की सीऍम बना दिया। जनता ने उमा के नाम पे बीजेपी को २३० में से १७३ सीट दी थीं। जब २००८ में फिर चुनाव हुआ तो शिवराज के नेत्रत्व में हुआ और सीटें घटकर १४१ रह गयीं। इतना ही नही लोकसभा चुनाव में बीजेपी की आधा दर्जन सीटें चली गयीं। वोट प्रतिशत भी कम हुआ। मजे की बात ये है की उमा को पार्टी के आनोदलन की वजह से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिलवाने वाली बीजेपी शिवराज के खिलाफ डम्पर खरीदी मामले में मामला दर्ज होने के वावजूद उनके ५ साल पूरे होने पर गौरव दिवस मना रही है। डम्पर उन्होंने पार्टी के लिए नही बल्कि पत्नी के नाम पे जानकारी छुपाकर खरीदा था। मामला उजागर होने पे पहले तो नकारते रहे फिर उन्हें स्वीकारना पड़ा। यह सच है की शिवराज सरकार की कई योजनायें पापुलर हुईं' मसलन लाडली लक्ष्मी । योजनायें तो उमा सरकार की भी खूब चल रही हैं। मसलन स्कूली लड़कियों को साईकिल देने की तोजना बिहार में भी हित रही। शिवराज उनके सिहसालर और दिल्ली में बैठी आका उमा भारती की बीजेपी में वापसी को टालने में अब तक सफल रहे हैं। नीतीश की दूसरी पारी और नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी बड़ी बात है विरत बहुमत वाली हैं। लेकिन शिवराज के मुख्यमंत्री रहती मध्यप्रदेश में बीजेपी कमजोर हुई है। विधानसभा से लोकसभा तक सीटें घटी है। इसलिए बीजेपी को रिअलिटी में विचार करना होगा क्योंकि कांग्रेस की कमजोरी के शेयर नैया पार लगते रहना गोरव की बात नही है,

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

सुदर्शन का आभार माने कांग्रेसी

हजारों करोड़ का कामनवेल्थ घोटाला और कारगिल के शहीदों के वेवाओं के फ्लैट कि बंदरबांट पर बुरी तरह घिरी कांग्रेस को पूर्व संघ प्रमुख सुदर्शन का आभार मानना चाहिए जो उन्होंने बीजेपी के हाथ से भ्रष्टाचार का यह जलता मुद्दा अपने बयान के गरम पानी में बुझा डाला। जनता के मुद्दों पे मौन साढ़े बैठे काग्रेसियों को संघ के बहाने बीजेपी पे भारी पड़ने का मोका हाथ लग गया। बचाव की मुद्रा में आये संघ और बीजेपी को अब कुछ दिन ठहर के एक बार फिर कॉमनवेल्थ और कारगिल के शहीदों कि विधवाओं के फ्लैट खाने का मामला ताकत से उठाना चाहिए। इसलिए नही कि संघ बदला ले। बल्कि इसलिए कि दोनों ही घोटाले अक्षम्य हैं। कॉमनवेल्थ का भ्रष्टाचार दुनिया भर में भारत कि बदनामी का कारण बना और आदर्श सोसायटी का मामला जन जन की भावना का अपमान है। जब कारगिल वार हुआ था तब लोगों ने रक्तदान किया था और महाराष्ट के मुख्यमंत्री ने अपनी सास को फ्लैट दे डाला। फिलहाल यह देखना रोचक होगा कि बंद किले कि राजनीति से मैदान कि राजनीति में आते hi maand
mein ghusne को मजबूर हुए संघ और संघ पुत्री बीजेपी अब क्या रणनीति बनाते हैं। कांग्रेसी फिलहाल १ गोल से आगे हैं और ये गोल संघ के पूर्व कप्तान ने अपनी ही टीम के खिलाफ किया है। यही तो राजनीति का रंग है एक कदम आपकी साडी रणनीति को चोपट कर देता है।

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

एक दीप धरें मन की देहरी पर

आप सभी को सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। दीप पर्व पर मेरी अपनी एक कविता सुधिजनों को समर्पित है।
एक दीप धरें मन की देहरी पर

धीरे धीरे घिरता है तम,
ग्रस लेता जड़ और चेतन को
निविड़ अंधकार गहन है ऐसासूझ न पड़ता
हाथ को भी हाथ
क्या करें,
कैसे काटें इस तम को
यह यक्ष प्रश्न
विषधर साकर देता किंकर्तव्यविमूढ़
तो जगती है एक किरनउम्मीद की
टिमटिमातीकंपकंपाती दीप शिखा सी
आओ लड़ें तिमिर अंधकार से,
एक दीप धरें मन की देहरी परप्रेम की जोत जगाएं हम
मिटे अंधियारा
बाहर काभीतर का भी,
आओ दीपमालिका सजाएं,
दीपावली बनाएंएक दीप धरें मन की देहरी पर।।
- सतीश एलिया- Dr. aparana aliya